कितनी बढ़ी किसानों की आमदनी, सरकार ने संसद में दी जानकारी

अपनी प्राथमिकता में किसानों को सबसे ऊपर रखने वाली केंद्र सरकार अब यह नहीं बता पा रही है कि पिछले पांच छह साल में अन्नदाताओं कि इनकम कितनी बढ़ी है. इस साल 24 सांसदों ने सरकार से किसानों की इनकम से जुड़ा सवाल पूछा है. लेकिन किसी को यह आंकड़ा नहीं मिला कि इनकम कितनी हो गई है किसानों की आय को बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बनाया था. लेकिन 2013 के बाद किसानों की आय को लेकर एनएसएसओ की रिपोर्ट नहीं आई है. 2013 में किसानों की औसत आय थी 6426 रुपये महीने जबकि खर्च था 6223 रुपये. बचते हैं सिर्फ 203 रुपये. हालांकि यह बात सच है कि सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं.


प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी स्कीमों से आय बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब स्कीम का पूरा पैसा खर्च होगा. इसके कुल बजट 87 हजार करोड़ में से साल भर में महज 37 हजार करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए 2016 में आईएएस अधिकारी अशोक दलवई की लीडरशिप में इनकम डबलिंग कमेटी गठित की थी. 2018 में इस कमेटी ने सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप दी थी, जिस पर अमल करने के लिए एक हाई पावर कमेटी गठित हो चुकी है. लेकिन 2013 के बाद किसानों की आय बढ़ी या घटी इस बारे में सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है.


कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि कृषि परिवारों की आय का आकलन एनएसएसओ द्वारा समय-समय पर किए गए सर्वे से किया जाता है. ऐसा सर्वे 2013 में हुआ था. इसलिए पिछले पांच साल के दौरान आय में वृद्धि के संबंध में सूचना मौजूद नहीं है.



इस तरह हो रही है आय बढ़ाने की कोशिश


> राज्य सरकारों के जरिए मंडी सुधार.


 


> मॉडल कांट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देना.


> किसानों को इलेक्ट्रॉनिक ऑनलाइन व्यापार मंच उपलब्ध कराने के लिए ई-नाम की शुरुआत.


> स्वायल हेल्थ कार्ड योजना, ताकि खाद का जरूरत के हिसाब से ही इस्तेमाल हो.


> परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा.


> हर मेड़ पर पेड़ अभियान यानी कृषि वानिकी को बढ़ावा.


> बास को पेड़ की श्रेणी से हटाकर उसकी खेती को प्रोत्साहन. पहले बांस काटने पर थी रोक.


> न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को उत्पादन लागत से 150 फीसदी तक बढ़ाने की मंजूरी.


> किसान सम्मान निधि स्कीम के तहत खेती-किसानी के लिए सालाना 6000 रुपये की सहायता.


> किसान क्रेडिट कार्ड की कवरेज बढ़ाने का अभियान.


> 100 फीसदी नीम कोटेड यूरिया से जमीन की सेहत सुधारने का अभियान


कहां कितनी मिल रही है नगद सहायता


> सभी प्रदेशों के किसानों को केंद्र की ओर से सालाना 6000 रुपये की नगद मदद.


> झारखंड और हरियाणा की सरकारें अलग से इतनी ही रकम अपने-अपने प्रदेश के किसानों को दे रही हैं.


> आंध्र में 10 हजार रुपये सालाना मिल रहे हैं. 6000 रुपये केंद्र सरकार के और 4000 रुपये राज्य की ओर से.


> तेलंगाना में 8000 रुपये सालाना मिल रहे हैं. दो सीजन में 4000-4000 रुपये. किसानों को नगद पैसे देने की शुरुआत तेलंगाना ने ही की.


> ओडिशा में खरीफ और रबी के सीजन में बुआई के लिए आर्थिक मदद के तौर पर प्रति परिवार को 5-5 हजार रुपये यानी सालाना 10,000 रुपये दिए जा रहे हैं.


> झारखंड में किसानों को 25 हजार रुपए सालाना की मदद


किसान सम्मान निधि से बढ़ेगी आय


डबलिंग फार्मर्स इनकम कमेटी के अध्यक्ष डॉ. अशोक दलवाई का कहना है कि किसानों की प्रोडक्टिविटी बढ़ जाए, उत्पादन लागत कम हो, मार्केट मिल जाए और उचित मूल्य मिले तो किसानों की आय दोगुनी करने का सपना साकार हो सकता है. इस दिशा में सरकार काम कर रही है. दलवई का कहना है कि पहले सिर्फ कृषि के बारे में सोचा जाता था, लेकिन पहली बार किसानों के बारे में भी सोचा गया है, ताकि वह खुशहाल हों.


कितनी उपज हुई इसके साथ-साथ यह बहुत महत्वपूर्ण है कि किसान को लाभ कितना मिला. कमेटी का दावा है कि सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत जो किसानों को सालाना 6000 रुपये उनके बैंक खाते में देने का निर्णय लिया है, इससे भी उनकी आय में बड़ा फर्क आएगा.