पौष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण व श्राद्ध किया जाता है। वहीं पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन उपवास रखा जाता है। इस दिन पवित्र नदी, जलाशय, कुंड आदि में स्नान करें और सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें। तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन व लाल पुष्प डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। पीपल का पूजन करें और तुलसी के पौधे की परिक्रमा। किसी साल पौष मास में दो-दो अमावस्या तिथि पड़ती हैं, तो किसी साल एक भी नहीं। इस वर्ष दो होना (5 जनवरी व 26 दिसंबर) एक दुर्लभ संयोग है। वर्ष 2020 के पौष माह में अमावस्या की तिथि ही नहीं पड़ रही है। ऐसे में पौष अमावस्या पर कोई विशेष उपाय करने हैं तो एक साल इंतजार करने की बजाय आज ही कर लें।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए उपवास रख तुलसी की परिक्रमा करें